
डिण्डौरी। जिले के बजाग तहसील क्षेत्र अंतर्गत सुकुलपुरा गांव में एक कमरे के अंदर सात कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। एक छोटे से हॉल के अंदर केजी वन से लेकर पांचवी क्लास के करीब 180 नन्हे मुन्ने छात्र बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। इस छोटे से हॉल में बेतरतीब तरीके से बैठे बच्चों को टीचर कैसे पढ़ाते होंगे और नौनिहालों क्या पढ़ पाते होंगे जिसका अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है।

दरअसल सुकुलपुरा गांव में करोड़ों रुपए की लागत से सीएम राइज स्कूल भवन का निर्माण चल रहा है जोकि लगभग पूरी तरह से बनकर तैयार है लेकिन कुछ काम और औपचारिकताएं पूरी नहीं होने के चलते फिलहाल इस नवीन भवन को हैंडओवर नहीं लिये जाने की बात कही जा रही है। करीब तीन साल पहले सुकुलपुरा गांव में जब सीएम राइज स्कूल की सौगात मिली थी उस वक्त गांव के पुराने स्कूल भवन को तोड़ दिया गया था और वैकल्पिक तौर पर स्कूल के संचालन के लिए ठेकेदार द्वारा एक अस्थायी भवन बनाया गया था उसी अस्थायी भवन के एक कमरे में पिछले तीन साल से सात कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है तो वहीं छटवी से लेकर दसवीं कक्षा का संचालन पीडीएस भवन में एवं दूसरे स्कूल के भवनों में किया जा रहा है।

जिस अस्थायी भवन के एक कमरे में सात कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है उसके छप्पर में जगह जगह छेद होने की वजह से बारिश का पानी अंदर भर जाता है जिसमे छात्रों के साथ-साथ उनकी कापी किताबें भी भीग जाते हैं। यहाँ पदस्थ शिक्षक ने खुद स्वीकार किया हैं, कि ऐसे माहौल में बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है, तो वहीं स्कूल के प्रिंसिपल गोलमोल जवाब देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
सीएम राइज स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि फिलहाल नवीन स्कूल भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है इस वजह से हैंडओवर की प्रक्रिया शेष है जबकि अभिभावक व ग्राम पंचायत के सरपंच का साफ कहना है कि शिक्षण सत्र शुरू होने के पहले निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाना चाहिए था लेकिन मनमानी व लापरवाही के चलते नवीन भवन हैंडओवर नहीं हो पाया है, जिसका खामियाजा सैंकड़ों छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
सुकुलपुरा गांव के अभिभावक व छात्रों को बड़ी उम्मीद थी कि इस शिक्षण सत्र में नवीन सीएम राइज स्कूल भवन में स्कूल का संचालन शुरू जायेगा साथ ही उन्नयन की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी जिससे दसवीं के बाद की पढ़ाई के लिए उनके बच्चों को अन्यत्र स्कूल में दाखिले के लिए भटकना नहीं पड़ेगा लेकिन सिस्टम की लापरवाही के चलते ऐसा हो नहीं पाया।
